0 votes
222 views
in Discuss by (98.9k points)
edited
Sanskrit translation of chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः in hindi class 8

1 Answer

0 votes
by (98.9k points)
selected by
 
Best answer

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः

[प्रस्तुत पाद्यांश डॉ. कृष्णचन्द्र त्रिपाठी द्वारा रचित हैं, जिसमे भारत के गौरव का गुणगान है। इसमें देश की खाद्यान्न सम्पन्नता, कलानुराग, प्राविधिक प्रवीणता, वन एवं सामरिक शक्ति की महनीयता को दर्शाया गया है। प्राचीन परम्परा, संस्कृति, आधुनिक मिसाइल क्षमता एवं परमाणु शक्ति सम्पन्नता के गीत द्वारा कवि ने देश की सामर्थ्यशक्ति का वर्णन किया है। छात्र संस्कृत के इन श्लोकों का सस्वर गायन करें तथा देश के गौरव को महसूस करें, इसी उद्देश्य से इन्हें यहाँ संकलित किया गया है।]


सुपूर्ण सदैवास्ति खाद्याल्नभाण्ड

नदीनां जल॑ यत्र पीयूषतुल्यम्‌॥

इयं स्वर्णबद्‌ भाति शस्थैधरिय॑

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥1॥

सरलार्थ-

जहाँ खाद्यान्न के पात्र सदा भरे रहते हैं | जहाँ नदियों का जल अमृत के समान होता है | यह धरती फ़सलों से सोने की भाँति सुशोभित होती है | इस धरती पर भारत स्वर्णभूमि के रूप में शोभायमान है |



त्रिशूलाग्निनागै: पृथिव्यस्त्रघोरै:

अणूनां महाशक्तिभि: पूरितेयम्‌।

सदा राष्ट्ररक्षारतानां धरेयम्‌

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥2॥

सरलार्थ-

(यह धरती) त्रिशूल, अग्नि, नाग, पृथ्वी आदि भयंकर अख्रों से और परमाणु महाशक्तियों से परिपूर्ण है | यह देश की रक्षा में लगे हुये वीरों की भूमि है | पृथ्वी पर भारत रूपी स्वर्णभूमि शोभायमान है |



इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या

जगदूबन्दनीया च भू: देवगेया।

सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयं

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥3॥

सरलार्थ-

यह वीरों के द्वारा भोग्य, कम के द्वारा सेवनीय, विश्व के द्वारा वन्दनीय और देवताओं के द्वारा गाने योग्य भूमि है यह सदा पर्वो और उत्सवों की भूमि है | पृथ्वी पर भारत रूपी स्वर्णभूमि विराजित है |



इयं ज्ञानिनां चैब वैज्ञानिकानां

'विपश्चिज्जनानामियं संस्कृतानाम्‌॥

बहूनां मतानां जनानां धरेय॑

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥4॥

सरलार्थ-

यह ज्ञानियों, वैज्ञानिकों, विद्वान लोगों और सुसंस्कृत लोगों की भूमि है| यह ' अनेक मतों वाले लोगों की भूमि है |पृथ्वी पर भारत रूपी स्वर्णभूमि शोभायमान है |


इयं शिल्पिनां यन्त्रविद्याधराणां

भिषक्शास्त्रिणां भू: प्रबन्धे युतानाम॥

नटानां नटीनां कवीनां धरेय॑

क्षितौ राजतै भारतस्वर्णभूमि: ॥5॥

सरलार्थ-

यह शिल्पियों, यन्त्र-विद्या जानने वालों,चिकित्सकों और प्रवन्ध में लगे हुये लोगों की भूमि है | यह नटों, नटियों और कवियों की भूमि है | पृथ्वी पर भारत रूपी स्वर्णभूमि शोभायमान है |


वने दिग्गजानां तथा केसरीणां

'तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्‌।

शिखीनां शुकानां पिकानां धरेय॑

क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमि: ॥6॥

सरलार्थ-

यह वन में हाथियों की, सिंहों की, नदियों की, पर्वतों की, मोरों की, तोतों की और कोयतों की धरा है | पृथ्वी पर भारत रूपी स्वर्णभूमि शोभायमान है |

Related questions

0 votes
1 answer 328 views
0 votes
1 answer 295 views
0 votes
1 answer 282 views
0 votes
1 answer 233 views

Doubtly is an online community for engineering students, offering:

  • Free viva questions PDFs
  • Previous year question papers (PYQs)
  • Academic doubt solutions
  • Expert-guided solutions

Get the pro version for free by logging in!

5.7k questions

5.1k answers

108 comments

638 users

...